बीमारी और पैसों की तंगी से जूझ रहे मशहूर म्यूजिक कंपोजर, वनराज भाटिया की IPRS ने की मदद

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बीमारी और पैसों की तंगी से जूझ रहे मशहूर म्यूजिक कंपोजर, वनराज भाटिया की IPRS ने की मदद

यह जानकारी मिलने के बाद कि दिग्गज म्यूजिक कंपोजर वनराज भाटिया बीमारी और तंगहाली से जूझ रहे हैं, इंडियन परफॉर्मिंग राइट सोसाइटी (IPRS) कार्रवाई में जुट गई। IPRS ने अपने अध्यक्ष, यानी कि जाने-माने गीतकार, स्क्रिप्ट राइटर एवं कवि, श्री जावेद अख़्तर के मार्गदर्शन में दिग्गज संगीतकार वनराज भाटिया को सहायता देने के लिए तत्काल कदम उठाए, तथा IPRS के सीईओ, श्री राकेश निगम द्वारा श्री भाटिया की मदद हेतु तत्काल धन जारी किया गया।

मशहूर संगीतकार वनराज भाटिया को राष्ट्रीय पुरस्कार (गोविंद निहलानी की टीवी श्रृंखला ‘तमस’ में उनके काम के लिए) तथा संगीत नाटक अकादमी पुरस्कार भी मिल चुका है। उन्होंने प्रतिष्ठित फिल्म निर्माता श्याम बेनेगल के साथ काम करते हुए नौ फिल्मों के साउंडट्रैक तैयार किए।

IPRS के अध्यक्ष, श्री जावेद अख़्तर ने कहा, “IPRS भारतीय लेखकों की एक संस्था है। जरूरत पड़ने पर हम हमेशा उपलब्ध साधनों के माध्यम से अपनी संगीत बिरादरी की हर संभव सहायता करने का प्रयास करते हैं। जिस वक़्त हमें अपने संगीतकार दोस्त वनराज भाटिया की सेहत के बारे में मालूम हुआ, हमने उनकी सहायता के लिए तत्काल धनराशि जारी की। आने वाले समय में, हम IPRS सदस्यों की आर्थिक एवं अन्य स्थिरता सुनिश्चित करने के लिए दीर्घकालिक योजनाओं पर विचार कर रहे हैं। भारतीय लेखकों एवं रचनाकारों को IPRS से जुड़ना चाहिए तथा अपनी रचनाओं को IPRS के साथ पंजीकृत करना चाहिए। IPRS उन्हें सुरक्षा प्रदान करने के अलावा दीर्घकालिक वित्तीय स्थिरता को भी सुनिश्चित करता है, जो उनका अधिकार है।”

श्री राकेश निगम ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा, कलाकारों को उनका हक़ मिलना ही चाहिए। अनुभवी संगीतकार वनराज भाटिया जी के लिए हम जो कुछ भी कर रहे हैं, वह उनका वाजिब हक़ है। हमें गर्व है कि इस मुश्किल हालात में हम उनकी मदद कर पाए। हम ईश्वर से उनके अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करते हैं!”

IPRS भारतीय लेखकों (गीतकारों), म्यूजिक कंपोजर्स एवं म्यूजिक पब्लिशर्स के अधिकारों की रक्षा करने वाला इकलौता पंजीकृत निकाय है। हाल ही में IPRS को दुनिया में सर्वाधिक तीव्र गति से विकसित हो रहे कॉपीराइट संस्थाओं में से एक के तौर पर मान्यता दी गई, जिसकी आमदनी वर्ष 2017-2018 के 45 करोड़ रुपये से बढ़कर वर्ष 2018-2019 में लगभग 167 करोड़ रुपये हो गई।

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